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प्रयास आखिरी सांस तक करना चाहिए, या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव दोनों ही बातें अच्छी है.

March 24, 2012

पैरामेडिकल विज्ञान नाम एक कोर्स अनेक--


पुस्तकालय केंद्रीय विद्यालय - भदरवाह


पैरामेडिकल विज्ञान नाम एक कोर्स अनेक




पैरामेडिकल विज्ञान चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा बनकर उभरा है। कहा जाता है कि यदि पैरामेडिक्स न हों तो चिकित्सा का पेशा शक्तिहीन हो जाएगा। पैरामेडिक्स का प्राथमिक लक्ष्य होता है कि त्वरित चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करना। वर्तमान में यह शाखा संक्रामक एवं गैर संक्रामक रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण साबित हुई है।




क्या है पैरा मेडिकल


पैरामेडिकल की कार्यशली एवं स्वरूप को देखते हुए इसे मेडिकल साइंस क्षेत्र में परिभाषित किया जा सकता है। पैरामेडिकल का कोर्स कर चुके प्रोफेशनल्स का कार्य चिकित्सक से मिलता जुलता है। यह प्रोफेशनल्स डायग्नोसिस, फिजियोथेरेपी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, मेडिकल लैब टेक्नोलोजी आदि का कार्य करते हैं। पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स उपचार के दौरान मेडिकल टीम का सपोर्ट करते हैं।


जरूरी स्किल्स


कूल माइंड


सौम्य स्वभाव


गुड कम्यूनिकेशन स्किल्स


हौसला बढाने की क्षमता


टाइम मैनेजमेंट पर पकड


सीखने की ललक


नए प्रयोगों के प्रति सकारात्मक नजरिया




कौन से हैं कोर्स




B.Sc. MLT (B.Sc in Medical Laboratory Technology) n Bachelor of Physio-Therapy (BPT)


Bachelor of Occupational Therapy(BOT)


B.Sc. Medical Radiation Technology (B.Sc.MRT)


B.Sc. (Medical Imaging Technology)


B.Sc. (Medical Radiography Technology)


M.Sc. Medical Laboratory Technology


Diploma in Physio-Therapy (DPT)


Diploma in Medical Lab Technology (DMLT)


Diploma in X-ray Tehnology


Certified Course in Radiographic Assistantship (CRA)






एजूकेशनल क्वालिफिकेशन






पैरामेडिकल से रिलेटेड विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स संचालित किए जाते हैं। अधिकतर कोर्स के लिए अलग-अलग क्वालिफिकेशन निर्धारित हैं। कुछ संस्थान मेरिट तो कुछ संस्थान इंट्रेंस एग्जामिनेशन आयोजित करते हैं। अधिक जानकारी के लिए पैरामेडिकल से रिलेटेड संस्थान की वेबसाइट का अवलोकन किया जा सकता है।






प्रमुख संस्थान






* आखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, अंसारी नगर, नई दिल्ली




* बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी




* राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ सेंटर, बेंगलुरू




* जीएसवीएम मेडिकल कालेज, कानपुर




* सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, कानपुर





पैरामेडिकल के हॉट सेक्टर






पैरामेडिकल शिक्षा में फिजियोथेरेपी, रेडियोग्राफी, मेडिकल लैब टेक्नोलोजी, ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट, फार्मेसी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी तथा नर्सिग आदि ऐसे हॉट सेक्टर हैं, जिनकी डिमांड देश ही नहीं विदेशी में भी खूब है।






रेडियोग्राफी






रेडियोग्राफी में रेडिएशन के माध्यम से डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है। इसमें एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रा साउंड तथा एमआरआई आदि शामिल हैं। मेडिकल टीम के साथ एक रेडियोग्राफर कार्य करता है। एक रेडियोग्राफर की डिमांड सरकारी या प्राइवेट चिकित्सालय, नर्सिग होम तथा डायग्नोस्टिक सेंटर में हरदम रहती है।


साइंस स्ट्रीम से बाहरवीं उत्तीर्ण स्टूडेंट बीएससी इन रेडियोग्राफी कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा कोर्स का भी ऑप्सन है।






मेडिकल लेबोरेटरी






मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलोजी को क्लीनिकल लेबोरेटरी साइंस भी कहते हैं। इसके अन्तर्गत डायग्नोसिस तथा रोगों से संबंधित टेस्ट किए जाते हैं। जिससे चिकित्सक को उपचार करने में आसानी रहती है। क्लीनिकल टेक्नोलोजी, ब्लड बैंक, माइक्र ोबायोलोजी तथा इम्यूनोलोजी प्रमुख हैं। मेडिकल टेक्निशियन टेक्नोलोजिस्ट एवं सुपरवाइजर के निर्देशन में लेबोरेटरी में रुटीन टेस्ट से संबंधित कार्य करते हैं। यह प्रोफेशनल्स सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सालय, ब्लड डोनेशन सेंटर, इमरजेंसी सेंटर तथा क्लीनिक में जॉब्स करते हैं।






ऑप्टोमेट्री






इसमें मनुष्य के आंख की संरचना तथा उसकी कार्य विधि शामिल है। इसके अन्तर्गत आंखों के प्रारंभिक लक्षण, लेंस का प्रयोग एवं अन्य परेशानियों को परखा जाता है।


ऑप्टोमेट्रिक्स में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद नेत्र चिकित्सालय तथा क्लिनिक पर रोजगार आसानी से मिल जाता है। बैचलर ऑफ क्लीनिकल ऑप्टोमेट्री, डिप्लोमा इन ऑप्थलमिक टेक्नीक प्रमुख कोर्स हैं।






रिहैबिलिटेशन






मनोविज्ञान से रिलेटेड हायर एजुकेशन में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। दुर्घटना के बाद ठीक होने के बाद कई बार रोगी को सामान्य जीवन जीने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने क ा कार्य रिहैबिलिटेशन सेंटर में किया जाता है।






सोचें, परखें फिर लें एडमिशन






किसी भी पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन लेने से पहले स्टूडेंट स्वयं को परख ले कि उसमें सौम्य स्वभाव और सहनशीलता जैसे गुण हैं कि नहीं। यदि गुण हैं तभी वह प्रवेश लें। पैरामेडिकल से रिलेटेड कोई भी एक कोर्स पूरा करके हॉस्पिटल, नर्सिग होम, स्वास्थ्य कल्याण विभाग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। कॉरपोरेट हॉस्पिटलों के बढते ट्रेंड ने पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स की डिमांड बढा दी है।

द्वारा-- संतोष पाण्डेय



March 17, 2012

फॉरेस्ट्री: कॅरियर का ग्रीन सिग्नल

पुस्तकालय  केंद्रीय विद्यालय - भदरवाह


------फॉरेस्ट्री: कॅरियर का ग्रीन सिग्नल------


पुरानी कहावत है कि इंसान के पैदा होने से लेकर मृत्यु तक मनुष्य व वृक्ष का बराबर साथ रहता है। पैदा होने के बाद जहां लकडी का पालना उसे सहारा देता है तो मृत्यु के बाद भी उसे लकडियों के ढेर यानि चिता में आखिरी पनाह मिलती है। यही कारण है कि वृक्षों को हमारी संस्कृति में देव का दर्जा दिया जाता है। ज्यादातर छोटे बडे समारोह, त्योहार बिना वृक्ष पूजन के परिणति तक नहीं पहुंचते। तार्किक नजरिए से सोचें तो धरती पर प्राण वायु यानि ऑक्सीजन का इकलौता जरिया वृक्ष ही हैं उनके आभाव में मानव जीवन पर क्या असर पड सकता है,सोच के ही सिहरन उठती है। ऐसे में यदि हम चाहते हैं कि सौरमंडल में धरती का अद्वितीय ग्रह के रूप में दर्जा सलामत रहे तो फिर वन सुरक्षा के अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यही कारण है कि देश की सरकार वनों की सुरक्षा और उन्हें बढाने के लिए संबंधित विशेषज्ञों की काफी संख्या में नियुक्ति कर रही हैं। इससे बडी संख्या में युवाओं के लिए अवसरों का पिटारा खुल रहा है।



फॉरेस्ट्री में विविधतापूर्ण विकल्प



जाने माने ब्रिटिश प्रकृतिवादी व लेखक जिम कार्बेट ने अपनी एक कहानी में लिखा है कि प्रकृ ति का अध्ययन एक ऐसा विषद विषय है, जिसका कोई ओर-छोर नहीं होता। इसको न तो कहीं से शुरू हुआ न तो कहीं से खत्म हुआ माना जा सकता है। ऐसे में विविधताओं से संपन्न भारतीय वन युवा क ॅरियर को विविधतापूर्ण विकल्प भी देते हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था, सीमित संभावनाओं केबीच इस क्षेत्र में वन्य अधिकारी, शोध, कंजर्वेशनिस्ट जैसे गिने चुने अवसर ही थे, लेकिन जैसे जैसे फॉरेस्ट, वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन के बारे में लोगों में जागरूकता आई है, यहां काम का दायरा भी बढा है। सरकारी व निजी क्षेत्रों में कई विभाग हैं, जो फॉरेस्ट्री में ग्रेजुएट युवाओं को अवसर दे रहे हैं।



ऑफबीट: खुले नए अवसर



इन दिनों वानिकी में क्वालीफाइड छात्रों के पास फॉरेस्ट, कंजरवेशन के अलावा कई अवसर हैं। लेकिन इन अवसरों की प्रकृति पंरपरागत वानिकी से कुछ हटकर है। तेजी से बदलती परिस्थितियों के बीच बहुत संभव है कि आने वाला कल इन्हीं जॉब्स का हो। टिंबर प्लांटेशन में कार्यरत कॉरपोरेट हाउस, एनजीओ, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, फिल्म मेकिंग, लैंडस्केप मैनेजमेंट, जू क्यूरेटिंग, कंसल्टेंसी फ‌र्म्स इसके कुछ उदाहरण हैं।



शोध: अवसरों की रिसर्च- इंवायरनमेंट रिसर्च?के क्षेत्र में हमेशा से ही बढिया संभावनाएं रही हैं। आखिर शोध के ही जरिए हमें वृक्षों,वन्य जीवों में होने वाले बदलावों, लक्षणों प्रजातिगत विभिन्नताओं का पता चलता है। देश में इंडियन कांउसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजूकेशन (आईसीएफआरई), इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इको रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्ड लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट, टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे कई प्रीमियर संस्थान हैं, जहां बतौर शोधार्थी?आप जगह बना सकते हैं।



विदेश: मौके हैं हाईप्रोफाइल- देर से ही सही पर्यावरण के बारे में लोग जिम्मेदार हुए हैं। वे न केवल इस दिशा में संगठित प्रयासों के हिमायती हैं बल्कि खुद भी पहल करने से भी नहीं हिचकिचाते। लोगों की इसी ग्लोबल इंवायरनमेंट कंसर्न के चलते आज विदेशों और खासतौर यूएन में क्वालीफाइड युवाओं की मांग बढी है।



कोर्सेज व योग्यताएं हैं अहम



इस फील्ड में कॅरियर की न्यूनतम शर्त बीएससी इन फॉरेस्ट्री है। अगर आप साइंस से बारहवीं हैं, तो इस कोर्स में एडमिशन के लिए योग्य हैं। वानिकी में पीजी डिग्री केलिए आपका इसी विषय में बैचलर होना अनिवार्य है। उच्च स्तर पर फॉरेस्ट्री कोर्सेस का स्पेशलाइजेशन हो जाता है, जिनमें फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कॉमर्सियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनॉमी, वुड सांइस, वाइल्ड लाइफ सांइस खासे लोकप्रिय हैं। कई प्रोफेशनल संस्थान पीजीडीएम इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट जैसे डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर करते हैं।



प्रमुख संस्थान



* फॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून

* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल, मप्र

* वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून

* कॉलेज ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, सोलन, हिप्र

* कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग,पंजाब

* कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रीजनल रिसर्च सेंटर, धारवाड, राजस्थान

* कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, उत्तराखंड


फॉरेस्ट्री फॉरेस्ट्री में आज काम का दायरा बढा है। इसके अंतर्गत केवल वनों की ही सुरक्षा एक काम नहीं रह गया है बल्कि इसमें वनो से जुडे औद्योगिक उत्पादन में भी काम की बढिया संभावनाएं हैं। पेपर इंडस्ट्री, फर्नीचर, माचिस जैसे कई काम इसमें ही शुमार होते हैं। तो वहीं इक ोलॉजी, नेचुरल डिजास्टर मैनेजमेंट ,फॉरेस्ट सर्वे, स्वाइल वाटर कंजरवेशन, इको टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में भी फॉरेस्ट्री ग्रेजुएट/पीजी/डिप्लोमाधारी कैंडिडेट्स का बोलबाला रहता है। फॉरेस्ट्री में बढे प्रोफेशनल्स की मांग के चलते आज देश में इससे जुडे संस्थानों की भी कमी नहीं है। आप चाहें तो यहां के फुल ऑफ वैरायटी कोर्सेस में दाखिला लेकर अपना कॅरियर बेहतर बना सकते हैं।



 
चिपको ने बदली तस्वीर



1974 में देश एक बिल्कुल ही नए ढंग के आंदोलन का गवाह बना। आंदोलन की प्रकृति तो गांधीवादी थी, लेकिन यह राजनैतिक सत्ता या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ आम लोगों की गोलंबदी नहीं थी। यह आंदोलन था वृक्षों के खातिर। हम बात कर रहे रहे हैं सुंदर लाल बहुगुणा के नेतृत्व में उत्तराखंड के (तत्कालीनउत्तर प्रदेश) चमोली जिले में चलाए गए चिपको आंदोलन की। इसमें लोग पेडों के इर्द गिर्द खुद को ह्यूमन शील्ड के तौर पर इस्तेमाल करते थे। नतीजतन पेड काटने वालों के पास इन पेड छोडने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता था। 80 के दशक में चिपको क ा असर देश के कई हिस्सों में दिखा। परिणामस्वरूप, वृक्षों की कटान में तो कमी आई ही, लोगों को जनआंदोलन के महत्व का भी पता चला। आज भी पूरी दुनिया में इस आंदोलन को फॉरेस्ट सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।



फॉरेस्ट्री: कॅरियर का ऑक्सीजन



धरती इकलौता ऐसा ग्रह है ,जहां जीवन संभव है। यदि हम चाहते हैं कि धरती का यह रुतबा बरकरार रहे तो प्रयास ही आखिरी विकल्प है। वानिकी में मौजूदा कॅरियर इन प्रयासों को गति दे सकते हैं.
पर्यावरण जगत में पिछली एक सदी में जोरदार परिर्वतन देखने को मिले हैं। ग्रीन हाउस गैसें, क्षतिग्रस्त होती ओजोन परत, ग्लोबल वार्मिग, पिघलते ग्लेशियर्स जैसे मुद्दे जो पहले कहीं चर्चा में नहीं थे, आज पर्यावरणविदों की प्रमुख चिंताओं में शुमार होते हैं। मौजूदा परिस्थितियों में यहां कॅरियर के कई अंजाने लेकिन ग्रोथ से भरपूर अवसर दस्तक दे रहे हैं..

 
वाइल्ड लाइफ जर्नलिज्म इस समय यह सबसे हॉट सेक्टर है। जर्नलिज्म से जुडे लोगों के लिए यहां मौके ही मौके हैं। ये लोग वन्य जीवन से जुडी तमाम जानकारियां दर्शकों, पाठकों तक पहुंचाते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, डॉक्यूमेंट्री निर्माण इनके ही काम का हिस्सा होते हैं। वाइल्ड लाइफ की ओर रुझान रखने वाले क्रिएटिव युवाओं के लिए यहां अवसरों की कमी नहीं है।



फॉरेस्ट रेंजर- वनों की अवैध कटाई, शिकार पर लगाम लगाने के साथ सार्वजनिक वनों, अभ्यारणों, राष्ट्रीय उद्यानों में उचित वन्य कानून कापालन करना फॉरेस्ट रेंजर का दायित्व होता है। ये लोग राज्य वन सेवाओं के जरिए चुने जाते हैं।



जू क्यूरेटर- शहरी क्षेत्रों में बने चिडियाघरों व वन्य जीव अभ्यारणों में जानवरों की देखरेख एक अहम काम होता है। जू क्यूरेटर इसी काम को अंजाम देते हैं। बडे-बडे चिडियाघरों में जू मैनेजर व जू क्यूरेटर्स की नियुक्ति की जाती है। आप संबंधित कोर्स करके इस क्षेत्र में प्रवेश पा सकते हैं।



इको टूरिज्म- इको टूरिज्म जुडा तो पर्यटन से है, लेकिन इसमें इकोलॉजी यानि पारिस्थितिकी का भी समावेश होता है। यहांकाम करने वाले लोग टूरिज्म के साथ इकोलॉजी की भी अच्छी खासी नॉलेज रखते हैं। देश के विविधतापूर्ण भौगोलिक व प्राकृतिक दशाओं के कारण आज इको टूरिज्म हॉट जाब बनकर उभर रहा है।



फॉरेस्टर- वन्य जगत में फॉरेस्टर के काम की अपनी ही अहमियत है। यह मुख्यतय: वनों के संरक्षण, परिवर्धन के लिए कार्य करता है। वन्य जीवों के वासस्थान की सुरक्षा, जंगलों में लगने वाली आग से बचाव आदि भी उसके ही कार्यो में आते हैं। वर्तमान में खत्म होती वनों की प्रजातियों के बीच यहां जॉब्स की बढिया गुंजाइश है और भविष्य में काफी संभावनाएं हैं।



डेंड्रोलॉजिस्ट- इसके मुख्य काम वृक्षों का जीवन चक्र, ग्रेडिंग, क्लासीफिकेशन, मेजरिंग, रिसर्च आदि होते हैं। इसके अलावा वृक्षों की सुरक्षा, वैज्ञानिक विधियों की मदद से उनके जीवनकाल में बढोत्तरी जैसे कार्य भी इनकी जिम्मेदारी होती है।



इथनोलॉजिस्ट- इथनोलॉजिस्ट वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करता है। जू, एक्वेरियम, लैब्स आदि में जीवों के लिए वासस्थान तैयार करने में इथनोलॉजिस्ट की काफी जरूरत पडती है।



सिल्वीकल्चरिस्ट- सिल्वीकल्चरिस्ट का काम एक नस्ल विशेष के पौधों की खेती व उनकी वृद्धि सुनिश्चित करने का होता है। पौधों की दुर्लभ प्रजाति के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है।



जनसेवा के साथ एडवेंचर भी: डॉ.बहुगुणा फॉरेस्ट्री में कॅरियर की असीम संभावनाएं हैं। युवाओं का रुझान इस ओर बढा है। इसकी एक वजह तो यह है कि वानिकी सीधे-सीधे आम लोगों को प्रभावित करता है तो दूसरे इसमें जन सेवा के साथ एडवेंचर का भी अच्छा स्कोप है। यह मानना है महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान व शिक्षा परिषद व वन अनुसंधान संस्थान केकुलपति डॉ. वी.के. बहुगुणा का। पेश है हमारी उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश-



इस क्षेत्र में किस तरह की स्किल्स की दरकार होती है?



वैज्ञानिक जिज्ञासा सबसे जरूरी है। प्रकृति में वनों का विकास कैसे होता है, वनों की गैरमौजूदगी का हम पर क्या असर पड सकता है आदि चीजों की अधारभूत व मौलिक जानकारी आवश्यक है। ज्यादातर वानिकी संस्थान इन्हीं सवालों पर कैंडिडेट्स का चयन करते हैं।



फॉरेस्ट्री के मुख्य सब्जेक्ट क्या हैं?



फॉरेस्टर का क्षेत्र काफी व्यापक है। इसके कोर सब्जेक्ट्स में सिल्वीकल्चर, इकोलॅाजी, फॉरेस्ट मैनेजमेंट, वुड सांइस, क्लाइमेंट चेंज, इकोसिस्टम मैनजमेंट आदि सबसे खास है। इस दौरान कोर्स के अंतर्गत इंवायरनमेंट सब्जेक्ट पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। वहीं पर्यावरण से जुडे मुद्दों को गंभीरता से अध्ययन करें तो बेहतर होगा।



आने वाले समय में इस फील्ड में कैसे अवसर हैं?



धरती की जीवन लायक परिस्थितियों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम वनों का संरक्षण करें। देखा जाए तो आज वनों का कोई विकल्प भी नहीं है। ऐसे में इस फील्ड में अवसरों का भविष्य अच्छा है। आज की तारीख में करीब डेढ लाख लोग फॉरेस्ट है।


आईएफएस: संवारिए देश की कुदरत



भारतीय वन सेवा ऐसी सीढी है, जो वानिकी में आपको एक अहम मुकाम दे सकती है.. ऑल इंडिया सर्विस एक्ट,1951 के तहत आईएफएस की शुरुआत1966 में हुई। इसक े प्रमुख कार्यो में वनों की सुरक्षा, संवर्धन, वन्य संसाधनों, जैव संपदा का रखरखाव इत्यादि शामिल हैं। वैसे देखा जाए तो इसकी शुारुआत काफी पहले ही ब्रिटिश राज के दौरान1864 में द इंपीरियल फॉरेस्ट सर्विस के नाम से हो गई थी। बाद के सालों में इसमें प्रादेशिक वन सेवा व अन्य अधीनस्थ सेवाएं भी जोडी गई। राष्ट्रीय स्तर पर वन सेवा परीक्षा साल में एक बार आयोजित होती है, जबकि राज्य स्तर पर भी इस परीक्षा का आयोजन होता है।



कैसा है परीक्षा का स्वरूप- संघ लोक सेवा आयोग भारतीय वन सेवा परीक्षा का आयोजन हर साल जुलाई माह में करता है। परीक्षा का मूल प्रारूप सिविल सेवाकी ही तरह है। इसमें चयन केपूर्व कैंडिडेट्स को तीन चरणों की चयन प्रक्रिया से गुजरना पडता है। प्रारंभिक परीक्षा के बाद कैंडिडेट्स का सामना कुल 1400 अंक केसामान्य अंगे्रजी, जीके (अनिवार्य) व दो वैकल्पिक विषय (वन सेवाओं के लिए तय किए विषयों में कोई 2) से होता है। इसके बाद इंटरव्यू (300 अंक) में सफलता के बाद ही उम्मीदवार अंतिम चयन के योग्य माना जाता है।



कौन कौन से हैं पद- वन सेवा में रेंज ऑफिसर, असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट,एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (राज्यों में सर्वोच्च पद) डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट (सर्वोच्च वन अधिकारी) प्रमुख पद हैं। आईएफएस व राज्य स्तरीय वन सेवाओं में बढिया प्रदर्शन कर आप इन पदों के हकदार बन सकते हैं।



महत्वपूर्ण है एलिजिबिलिटी- 21-30 की उम्र के वे सभी स्नातक आईएफएस परीक्षा के लिए अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास स्नातक में एनीमल हसबैंडरी, वेटेरिनरी सांइस, बॉटनी, जूलॉजी, कैमिस्ट्री, मैथ्स, फि जिक्स, स्टेटिस्टिक्स, जिओलॉजी, फॉरेस्ट्री मे से कोई विषय हों या फिर वे इंजीनियरिंग स्नातक हों।



कैसे करें तैयारी- इस परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न सामान्यत: स्नातक स्तर के होते हैं। यूनिवर्सिटी स्तर पर यदि आपकी विषयों पर पकड अच्छी है तो आईएफएस में बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ जाती है। सामान्य ज्ञान के अनिवार्य?पेपर में बेहतर करने के लिए स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं क ा नियमित अध्ययन करें। देश दुनिया में होने वाली हर छोटी बडी घटना से अपडेट रहें। अंग्रेजी के अनिवार्य प्रश्नपत्रों के लिए पुराने प्रैक्टिस पेपर का अधिक से अधिक अभ्यास करें।


द्वारा-- संतोष पाण्डेय


March 10, 2012

ज्योग्राफी- ग्राफ योर कॅरियर


 केंद्रीय विद्यालय- भदरवाह



"ज्योग्राफी- ग्राफ योर कॅरियर"


"भूगोल पृथ्वी की झलक को स्वर्ग में देखने वाला आभामय विज्ञान है"                                                                                                         -क्लाडियस टॉलमी


ज्योग्राफी पृथ्वी पर विभिन्न स्थलों की जानकारी देने के साथ धरातल पर पाए जाने वाले विविध तथ्यों का अध्ययन करती है। इसके अन्तर्गत धरातल के विविध तत्वों के क्षेत्रीय विवरण मात्र ही नहीं बल्कि उनके स्वरूप तथा उत्पत्ति का सकारण विवरण भी प्रस्तुत किया जाता है। सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्ट विज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसक े बाद हेरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिश्चित स्वरूप दिया। आज भूगोल में इतने विकल्प हैं कि युवा इस विषय को लेकर बेहतरीन कॅरियर बना रहे हैं और यह हॉट सब्जेक्ट के रूप में उभर रहा है। अगर आप भी इस तरह के कॅरियर की तलाश में हैं, तो यहां आपके पास विकल्पों की कमी नहीं है। आप अपनी पसंद और रुचि के अनुरूप इस विषय से संबंधित अनेक क्षेत्रों में कॅरियर की ऊंची उडान भर सकते हैं।



क्यों पढें ज्योग्राफी ---

ज्योग्राफी का अध्ययन हम सभी स्कूल लेवल से शुरू कर देते हैं, लेकिन कॅरियर के लिए कम से क म स्नातक होना जरूरी है। इस फील्ड से जुडे लोग मौसम की पल-पल की जानकारी आप तक पहु ंचाते हैं। विदेश में इस क्षेत्र से जुडे कॅरियर विकल्पों की कमी नहीं है। लेकिन अब देश में इस सेक्टर के नये विक ल्प खुलते जा रहे हैं। अपार प्राकृतिक संसाधन वाले भारत में सरकार प्राकृतिक सं साधनों के न्यायोचित दोहन पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार जहां प्राकृतिक दोहन संसाधनों के दोहन से रेवेन्यू जुटाना चाहती है, वहीं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। इ सके लिए बडी संख्या में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत है। इस फील्ड में सरकार प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इस कारण इस फील्ड में संभावनाएं ही सं भावनाएं बढीं हैं और युवा वर्ग इसे कॅरियर के तौर पर चुनने के लिए आगे बढा है, जिससे च्योग्राफी का क्त्रेज बढा है।


जरूरी स्किल्स

* कलात्मक रुचि हो


* मैथमैटिकल नॉलेज


* विषय में रुचि


* विश्व की जानकारी


एजुकेशनल क्वालिफिकेशन--

भविष्य की दृष्टि से ज्योग्राफी में ग्रेजुएशन कॅरियर की पहली सीढी है। ग्रेजुएशन में प्रवेश के लिए 10+2 होना अनिवार्य है। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल और पीएचडी कर सकते हैं। इसमें प्रवेश के लिए अधिकतर यूनिवर्सिटियां व संस्थान प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं तो कुछ मेरिट के आधार पर प्रवेश देते हैं।


कौन से हैं कोर्स ----


* बीए ज्योग्राफी


* बीएससी ज्योग्राफी


* डिप्लोमा इन ज्योमेटिक्स


* एमए ज्योग्राफी


* एम फिल ज्योग्राफी


* एम एस सी अप्लाईड ज्योग्राफी


* एम एस सी ज्यो इंफोमेटिक्स


* एम एस सी ज्योग्राफी


* एम एस सी जीटीए (ज्योग्राफी एंड टूरिज्य एडमिनिस्ट्रेशन)


* मास्टर इन ज्योग्राफिक इंफोमेटिक्स साइंस एंड सिस्टम


* मास्टर इन रिमोट सेंसिंग एंड ज्योग्राफिक इंफोरमेशन साइंस


* पीएचडी ज्यो मैग्नेटिज्म


* पी एच डी ज्योग्राफी


* पोस्ट ग्रेजुऐट डिप्लोमा इन ज्यो इंफोरमेटिक्स


* पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रिमोट सेंसिंग एंड ज्योग्राफिक इंफोरमेशन साइंस



प्रमुख संस्थान

* जेएनयू नई दिल्ली


* बीएचयू, वाराणसी


* सीएसजेएम यूनिवर्सिटी और सम्बद्ध कालेज, कानपुर


* अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ


* पटना यूनिवर्सिटी, पटना


* पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ



ज्योग्राफी के हॉट सेक्टर

ज्योग्राफी यानि भूगोल का क्रेज विदेशों की तरह अब देश में भी दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। सरकार ने कई ऐसी योजनाएं चलायी हैं जिससे इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की डिमांड बढी है। इस फील्ड के कौन-कौन से हैं हॉट सेक्टर..


ज्योग्राफर----

देश में कार्य कर रहे हजारों ज्योग्राफर्स में 80 प्रतिशत से ज्यादा ज्योग्राफर्स एकेडमिक फील्ड से जुडे हैं। ज्योग्राफर्स का कार्य प्रकृति से संबंधित तथ्य तथा जानकारियां जुटाना है। इसके अलावा यह लोग मिट्टी, क्लाइमेंट, लैंड फार्म, प्लांट्स तथा एनीमल से रिलेटेड जानकारियां भी एकत्र करते हैं। इसलिए आंकडों की जरूरत के लिए ज्योग्राफर की डिमांड सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों में बढ ी है। एक ज्योग्राफर को यात्रा करने के साथ लम्बे समय तक घर से बाहर रहना पडता है।


जीआईएस स्पेशलिस्ट

ज्योग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम के माध्यम से आप किसी भी स्थान के मौसम, तापमान और प्रदूषण की जानकारी हासिल कर सकते हैं। जीआईएस आकस्मिक दुर्घटना या विपत्ति के समय कुछ मिनट में ही उस जगह की सारी जानकारी एकत्र करने में सक्षम होते हैं। जीआईएस से जुडे कई साफ्टवेयर भी आ रहे हैं जिनसे और भी कई तरह जानकारिया ली जा सकती हैं। जीआईएस स्पेशलिस्ट पॉल्युशन कंट्रोल वाले स्थान को मिनटों में पहचान लेते हैं। प्रोजेक्ट शुरूआत करने के लिए तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए इस फील्ड के विशेषज्ञों का क्रेज बढा है।


सिविल सर्विसेज --

इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में ज्योग्राफी टॉप स्कोरिंग सब्जेक्ट है। इस परीक्षा में यह जनरल स्टडीज पेपर का हिस्सा या ऑप्शनल सब्जेक्ट होता है। यही कारण है कि कई स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेज् ाुएट लेवल तक ज्योग्राफी लेना पसंद करते हैं। सिविल सर्विसेज में यदि आप प्लानिंग करके ज् योग्राफी पढें तो टॉप स्थान हासिल कर सकते हैं। जगह को पर्यावरण के आधार पर समझना, और चल रहे मामलों को प्लानिंग से सही तरह से हैंडल करने की योग्यता ब्यूरोके्र ट्स की निशानी है। इ सलिए यह सब्जेक्ट मददगार साबित होता है।


इंवायरनमेंट स्पेशलिस्ट

ज्योग्राफी में आनर्स डिग्री के साथ इंवायरनमेंट स्टडीज की स्टडी करने वाले स्टूडेंट के लिए यह फ ील्ड बेहतर कॅरियर विकल्प बन सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों की मांग सरकारी विभागों की तुलना में प्राइवेट सेक्टर में काफी है। इंवायरनमेंट एक्सपर्ट के तौर पर आप नेचुरल एरिया मैनेजमेंट, रिसोर्स मैनेजमेंट तथा इंवायरनमेंट इश्यू जैसे एरिया का चयन कर सकते हैं।


अरबन और कम्यूनिटी प्लानर

इनका कार्य जनसंख्या के अनुसार शहर की प्राकृतिक खूबसूरती बनाए रखना, पार्क बनाना तथा भीड भाड को नियंत्रित करना है। ट्रैफिक प्लानिंग तथा मनोरंजन से जुडी चीजों का मैनेजमेंट शामिल है। बिल्डर्स को मास्टर प्लान के तहत शहर को विकसित करने के लिए निर्देशित करना भी अरबन प्लानर के कामकाज के अंतर्गत आता है। इसके लिए तमाम ज्योग्राफिक इंफार्मेशन की जरूरत पढती है, जिसके कारण ज्योग्राफी फील्ड के जानकारों को हाथों-हाथ लिया जाता है।

ट्रैवल प्रोफेशनल्स

ज्योग्राफी और टूरिज्म दोनों में यदि आप ट्रेनिंग ले लें तो कॅरियर की ऊंचाइयां छू सकते हैं। वर्तमान में ट्रैवल और टूरिज्म बूमिंग इंडस्ट्री बन चुकी है। अगर आप को जगह-जगह घूमना पसंद है तो आप के लिए यह जॉब अच्छा है। ट्रैवल प्रोफेशनल्स टूरिस्ट को पहाड, घाटी और ग्लेशियर की ज् ानकारी देने के साथ खतरों से अवगत कराते हैं। ऐसे योग्य प्रोफेशनल्स को अच्छे पैकेज पर हाथों -हाथ रखा जाता है।

BY-- संतोष पाण्डेय

March 3, 2012

साइंस: साइंटिफिक फॉर्मूला-

 LIBRARY, केंद्रीय विद्यालय - भदरवाह  



साइंस: साइंटिफिक फॉर्मूला-



"विज्ञान में वह सारी ताकत है, जिससे हर जरूरतों को पूरा किया जा सके। सवाल सिर्फ यह है कि हम उससे क्या हासिल करना चाहते हैं।"
-पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम



घटना 2004 के उत्तरार्ध की है। बोस्टन में रहने वाले भारतीय मूल के सलमान ने न्यू ओलियांस में रहने वाली अपनी भतीजी के लिए खाली समय में अलग-अलग सब्जेक्ट पर अपने लेक्चर्स को वीडियो रिकॉर्ड कर यू-ट्यूब में डालना शुारू किया। अब नादिया अपने तमाम विषयों से जुडी प्रॉब्लम्स का हल इन वीडियोज में ढूंढ सकती थी, वह भी अपनी सुविधा के अनुसार। वीडियो रिकॉर्डिग के जरिए शुरू हुई अध्ययन-अध्यापन की इस शुरूआत को आज अमेरिका में एजूकेशन क्रांति का दर्जादिया जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर ये सब हुआ कैसे? किस तरह यह असंभव सी दिखने वाली चीज आसान हुई? तो जवाब है विज्ञान के रचनात्मक इस्तेमाल से। इसने एक चीज और स्पष्ट क ी है कि यदि मानव विकास में विज्ञान का तालमेल हो, तो दुनिया की सूरत संवरने में ज्यादा वक्त नहीं लगने वाला। यही कारण है कि हर देश की सरकारें साइंस स्टूडेंट्स को अधिक से अधिक पढाने के लिए अनेक तरह का प्रोत्साहन देती हैं।



क्यों है साइंस का क्रेज?



साइंस में काफी कॅरियर होने की वजह से इसे कॅरियर का खजाना कहा जा सकता है। आज विकास की परिकल्पना साइंस के बिना अधूरी है, क्योंकि नई खोज अनवरत अध्ययन और प्रयोग से संभव होती हैं। साइंस के स्टूडेंट्स अपनी बेहतरीन कॅरियर बनाने के साथ ही देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नई खोज साइंस के बिना संभव नहीं है। इसके अलावा जीवन रक्षक दवाइयों के निर्माण से लेकर देश की सुरक्षा में भी साइंस प्रोफेशनल अहम होते हैं। आज विज्ञान की इतनी शाखाएं हैं कि आप अपनी रुचि और जरूरत के अनुरूप किसी भी क्षेत्र में कॅरियर बना सकते हैं। विज्ञान में अधिक से अधिक प्रोफेशनल्स आने की वजह से ही हम आज तरक्की की ट्रेडमिल पर तेजी से दौड रहे हैं। चीजें धीरे-धीरे ही सही, हमारे अनुकूल हो रही हैं। इसके अलावा 12वीं में यदि आपके पास साइंस है तो आप अपनी मनमर्जी से किसी भी स्ट्रीम में स्विचओवर कर सकते हैं।



माइंड सेट है महत्वपूर्ण



  • सोचने का तरीका अलग होना चाहिए


  • खुद पर भरोसा


  • औरों से अलग बनाने की सोच


  • लगातार प्रयास करने का जज्बा


  • बढिया कैलकुलेशन व तार्किक क्षमता


  • प्रयोग व विश्लेषण में रुचि


  • एकेडमिक लेवल पर साइंस विषय में अच्छे मा‌र्क्स 




  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस








    • देश के जाने माने वैज्ञानिक सी वी रमन ने 28 फरवरी 1928 को अपनी विश्व विख्यात खोज रमन प्रभाव की घोषणा की थी। उनकी इसी उपलब्धि के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने पहली बार 28 फरवरी 1987 को विज्ञान दिवस के रूप में मनाया। तभी से हर साल राष्ट्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद के तत्वाधान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन किया जा रहा है। खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल प्राइज मिला। उनकी महान उपलब्धियों और अद्वितीय प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 1954 मे भारत रत्न दिया गया। साइंस स्टूडेंट्स के लिए प्रमुख स्कॉलरशिप हैं:



      साइंस स्कॉलरशिप



      राजीव गांधी नेशनल फेलोशिप ल्ल एनसीईआरटी जूनियर प्रोजेक्ट फेलोशिप



      विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (जेआरएफ प्रोग्राम) ल्ल इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च (जेआरएफ प्रोग्राम) ल्ल सीएसआईआर स्कॉलरशिप प्रोग्राम ल्ल लेडी मेहरबाई डी. टाटा स्कॉलरशिप प्रोग्राम ल्ल रमन्ना स्कॉलरशिप प्रोग्राम ल्ल फास्ट ट्रैक स्कीम फॉर यंग स्कॉलरशिप ल्ल नेशनल सांइस ओलंपियाड ल्ल किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाई)



      टेक्सटाइल इंजीनिय¨रग



      भारत में बनने वाले कपडे की बढिया क्वालिटी, डिजाइन आदि के चलते भारतीय कपडे व इससे जुडे कच्चे माल की मांग पूरी दुनिया में है। इसी के चलते यह फील्ड साइंस वर्ग केयुवाओं के लिए बेहतरीन राहें देता है। वे सभी युवा जिनके पास चार वर्षीय बीई (टेक्सटाइल), बीटेक (टेक्सटाइल इंजीनियरिंग), एमई, एमटेक जैसी डिग्रियां हैं या डिप्लेामा डिग्रियां हैं, उनके पास इस क्षेत्र में इंट्री के पूरे मौके हैं।



      न्यूक्लियर इंजीनिय¨रग



      न्यूक्लियर एनर्जी को भविष्य का ऊर्जाविकल्प माना जा रहा है। कम प्रदूषणक ारी व ऊर्जा उत्पादन की असीमित क्षमताओं के चलते न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में कॅरियर स्कोप बढा है। सांइस (पीसीएम ग्रुप) के स्टूडेंट्स को यह क्षेत्र काफी कुछ ऑफर करता है।



      स्पेस इंजीनिय¨रग



      कृषि, विज्ञान, मेडिकल, जलवायु, डिफेंस जैसे सभी क्षेत्रों के विकास में स्पेस इंजीनियरिंग अप्रत्यक्ष रूप से बडी भूमिका निभाती है। ऐसे में स्पेस इंडस्ट्री विज्ञान वर्ग के छात्रों के लिए उम्दा विकल्प बन चुकी है।



      आईटी



      यदि आप12वीं सांइस स्ट्रीम से हैं तो कंप्यूटर इंजीनिय¨रग में बीटेक, बीई, एमई, एमटेक जैसे कोर्स कर इस सेक्टर में खुद की स्टेबिलिटी तय कर सकते हैं। देश के साथ विदेशों मे बढती आईटी प्रोफेशनल की मांग के कारण इस क्षेत्र में अच्छी कॅरियर ऑपरच्यूनिटीज पनप रही हैं।



      फॉरेस्ट्री



      वानिकी किसी भी देश की पारिस्थतिकी व अर्थव्यवस्था पर गहरा असर छोडती है। इस कारण सरकारें वनों केप्रबंधन पर आज खास ध्यान दे रही हैं। इस फील्ड में ग्रेजुएट व पीजी कोर्सकरके आप वाइल्ड लाइफ व एनीमल से जुडी अनेक संस्थाओं, वन विभाग, वाइल्ड लाइफ कंसल्टेंट के तौर पर काम के अवसर पा सकते हैं।



      एग्रीकल्चर साइंस



      देश के कुल जीडीपी में 23 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले एग्रीकल्चर सेक्टर की अहमियत को कम नहीं आंका जा सकता। एग्रीकल्चर साइंस में ग्रेजुएट व पीजी डिग्रीधारकों के लिए कृषि विवि, एनजीओ, एग्रीकल्चर ऑफिसर,रिसर्चर के तौर पर कॅरियर क ी कई मंजिलें हैं।



      फिशरीज



      ग्लोबलाइजेशन और सी फूड की बढती लोकप्रियता के बीच आज फिशरीज एक फायदेमंद कॅरियर बन चुका है। इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स को फिशरी मैनेजमेंट के साथ फिश जेनेटिक्स, ओसेनोग्राफी, इन्वायरनमेंटल साइंस में भी काम करना होता है।



      स्वायल कंजरवेशन



      भारत जैसे कृषि प्रधान देश में भूमि की उर्वरता, उसकी क्षमताएं काफी मायने रखती है। यही कारण है कि देश की कई एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज में चलने वाले स्वाइल/वाटर कंजरवेशन कोर्स काफी उपयोगी हो चले हैं। इसके अंतर्गत स्वाइल सर्वे, स्वाइल मैनेजमेंट, हाइड्रोलॉजिक प्लान्स की डिजाइन, रिसर्च जैसे काम आते हैं।



      डॉक्टर है पहली पसंद



      विकल्पों की बहुलता के बाद भी12वीं (पीसीबी) स्टूडेंटस की पहली पसंद डॉक्टर बनने का होता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां12वीं पीसीबी ग्रुप के लोगों को ही जगह मिलती है। इस फील्ड में आप एमबीबीएस, एमएस, एमडी कोर्स करके कॅरियर को बुलंद रुतबा भी दे सकते हैं।



      बायोइंफॉर्मेटिक्स



      बायोइंफॉर्मेटिक्स एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें मॉलीक्यूलर बायोलॉजी के ज्ञान को इंफॉर्मेशन टेक्नोलाजी का कॉन्सेप्ट नईदिशा दे रहा है। इस क्षेत्र में12वीं में सांइस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स को वरीयता मिलती है।



      बायोटेक्नोलॉजी



      बदलती लाइफस्टाइल में बायोटेक्नोलॉजी की भूमिका व्यापक हुई है। शायद इसके चलते इस फील्ड में इंट्री लेने वाले छात्रों की तादाद भी बढी है। बायोटेक्नोलॉजी में बीएससी, बीटेक, बीई समेत डिप्लोमा कोर्स के भी ऑप्शन हैं।



      बायोकेमिकल इंजीनियरिंग



      यहां इंजीनियरिंग के कॉन्सेप्ट व बायोलॉजी की समझ दोनों ही अहम हैं। इस क्षेत्र में उपयुक्त योग्यता रखने वालों के पास बायोटेक्नोलॉजी फ‌र्म्स, बायोलॉजिकल लैब्स, फूड बिवरेज कंपनी, एग्रीकल्चर, केमिकल इंडस्ट्री में जॉब्स के पूरे मौके होते हैं।



      फूड टेक्नोलॉजी



      बिजी लाइफस्टाइल के बीच पोषण की बढी जरूरतों के कारण फूड टेक्नोलॉजी आज भरोसेमंद कॅरियर बना है। इसके अंतर्गत फूड प्रोसेसिंग,स्टोरेज व प्रिजर्वेशन, पैकेजिंग, डिस्ट्रब्यूटिंग जैसे काम आते हैं। इसमें बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी (3 साल),एमएससी (2साल) जैसे डिग्री कोर्स के साथ कई सर्टिफिकेट कोर्स भी प्रचलित हैं।



      साइंस: जरूरत ने बदली तस्वीर



      विज्ञान की तेज चाल आज मिथक नहीं बल्कि सुखद सच्चाई है। यही कारण है कि जरूरत के अनुरूप साइंस ने कई नए क्षेत्र डेवलप किए हैं, जिस कारण साइंस के स्टूडेंट्स को कॅरियर च्वाइस के कई विकल्प मिले हैं.. कहा जाता हैकि मानव का पहला अविष्कार पेड के गोल तने से तैयार किया गया पहिया था। वह पहिया जिस पर से लुढकते-लुढकते मानव सभ्यता आज तरक्की क ी रफ्तार पकड चुकी है। तब इंसान को न तो न्यूटन के गति विषयक नियमों की जानकारी थी और न ही घर्षण के सिद्धांत से ही कुछ लेना देना था। बावजूद इसके आवश्यकता का सिद्धांत तो कहीं न कहीं था ही, जिसने तत्कालिक जरूरत के मुताबिक इंसान को अविष्कार करने की सहज प्रेरणा दी। इस दौरान तेजी से वर्गीकरण से साइंस की कई ब्रांचेज भी जन्म ले चुकी हैं। यहां न तो अवसरों की कमी है, न उनसे मिलने वाली सौगातों की। जरूरत है, तो बस रुचि के अनुरूप अपने क्षेत्रों का चयन करके कठिन मेहनत करने की।



      इंजीनियरिंग है बैकबोन



      इंजीनियरिंग सेक्टर देश की इकोनॉमी काबैकबोन कहलाता है। इसकी अहमियत इसलिए भी हैकि देश की तरक्की में योगदान देने वाले कई सेक्टर इससे जुडे हैं। ये सेक्टर तेज विकास दर और जोरदार इंप्लॉयमेंट पोटेंशियल के चलते युवाओं क ी खास पंसद बने हुए हैं। 12वीं के बाद इस क्षेत्र की ओर अधिकतर स्टूडेंट्स का रुझान इसी बात को दर्शाता है। इन सबके बीच यदि आप भी इंजीनियरिंग के बहुरंगी संसार में खुद को आजमाना चाहते हैं तो विकल्प ही विकल्प हैं।



      डिफेंस साइंस स्ट्रीम है मेन स्ट्रीम



      रक्षा क्षेत्र में हमेशा से युवा जोश के साथ-साथ साइंटिफिक सोच की दरकार होती है। यहां बतौर ऑफिसर इंट्री क ी न्यूनतम योग्यता 10+2(सांइस) होती है। इसमें मैथ्स व बायो दोनों ही वर्गो के युवाओं को जगह मिलती है। सेना की मेडिकल कोर, इंजीनियरिंग कोर ,एयरफोर्स में पायलट व अन्य टेक्निकल पोस्ट के लिए साइंस वर्ग के कैंडिडेट्स ही अप्लाईकर सकते हैं। एनडीए, सीडीएस, डायरेक्ट इंट्री स्कीम, एसएसबी जैसे कई माध्यमों से आप सशस्त्र सेनाओं के किसी भी अंग में अपनी जगह बना सकते हैं। इसके अलावा आप कॉलेज में साइंस के लेक्चरर व स्कूलों में साइंस टीचर बनकर आनेवाली पीढी को योग्य बना सकते हैं।



      एग्रीकल्चर: द परफेक्ट कॅरियर ऑप्शंस



      कृषि आज देश के लोगों को रोजगार देने वाला सबसे बडा जरिया है। कुल जीडीपी में इसका बडा योगदान है। कृषि की विषद उपयोगिता देखते हुए इसके प्रसार को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। आज इस क्षेत्र में साइंस स्ट्रीम से संबध रखने वाले फ्रेशर्स, एग्रीकल्चर ग्रेजुएट, एक्सप‌र्ट्स की भारी मांग है।



      मेडिकल में जॉब



      साइंस ग्रुप में केवल मैथ्स ही नहीं बल्कि बायो स्ट्रीम स्टूडेंट्स के लिए भी अच्छे अवसर होते हैं। अब तक माना जाता था कि बायो स्टूडेंट्स के पास अवसर केवल मेडिकल प्रोफेशनल तक ही सीमित हैं, लेकिन यह धारणा पीछे छूटती नजर आ रही है। इन दिनो बायोलॉजी वर्ग के छात्रों के लिए बायो टेक्नोलॉजी, बायोइंफॉर्मेटिक्स से लेकर फूड प्रोसेसिंग, इन्वायरनमेंटल साइंस, एग्रीकल्चर में शानदार मौके पनप रहे हैं। ये सब ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें सिर्फ बायो ग्रुप के स्टूडेंट्स ही कॅरियर बना सकते हैं।



      टॉप कॅरियर, टॉप एग्जाम



      एआईईईई व आईआईटीजेईई: इंजीनियरिंग क्षेत्र में टॉप जॉब्स के लिए एआईईईई व आईआईटीजेईई महत्वपूर्ण एग्जाम है। देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए हर साल देश के लाखों युवा इन परीक्षाओं भाग लेते हैं।



      एआईपीएमटी: 12वीं बायो वर्ग के वे छात्र जो डॉक्टर बन अपनी किस्मत संवारना चाहते हैं, उनके लिए ये परीक्षा सबसे अहम है। ऑल इंडिया लेवल पर इस परीक्षा का आयोजन देश और राज्य स्तर पर किया जाता है। आईएफएस: भारतीय वन सेवा,अखिल भारतीय सेवाओं में आईएएस,आईपीएस की तीसरी कडी है। वहीं राज्य स्तर पर राज्य वन सेवा व अधीस्थ वन सेवा होती हैं। एग्रीकल्चर व फॉरेस्ट्री में कॅरियर देखने वाले कैंडिडेट्स के लिए यह परीक्षा बडी संभावना जगाती है।



      आईसीएआर: एग्रीकल्चर में प्रवेश चाहने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह परीक्षा अहम होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च यानी आईसीएआर यूजी और पीजी प्रोग्राम के लिए एआईईईए परीक्षा आयोजित करती है। बीआईटीएसएटी: यह परीक्षा भी साइंस स्टूडेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसमें इंजीनियरिंग के अलावा साइंस से रिलेटेड कई तरह के कोर्स की पढाई होती है।



      जेएनयू कम्बाइंड बायोटेक्नोलॉजी टेस्ट: बायोटेक्नोलॉजी में प्रवेश पाने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह परीक्षा काफी अहम होती है। बायोटेक्नोलॉजी में प्रवेश के लिए आईआईटी और जेएनयू के अलावा देश में कई बडे संस्थान हैं, जिसमें बेहतरीन कॅरियर बनाया जा सकता है।



      आईआईएसटी: इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, स्पेस साइंस में रुचि रखनेवाले स्टूडेंट्स को एडमिशन देती है। आप इसमें एडमिशन लेकर स्पेस साइंस से संबंधित कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।

      BY-- संतोष पाण्डेय