LIBRARY, K V BASTI S ~ 1
CELEBRATION OF VAN MAHOTSAVA .............
जन्म-मृत्यु, सुख-दुःख का साथी हूं, हूं मैं मानव तेरा।
फिर भी तू उपकार चुकाता, काट-काट
तन मेरा।।
हल, बक्खर, जुआ, बाड़ी
बोल कहां से लेता?
छप्पर, घास, बांस, बल्ली
मैं ही तुझको देता।
कत्था, महुआ, ताड़ी तू
बोल कहां से लेता?
लीसा, गोंद, पेंट, बारनिश
मुझसे ही तू लेता।।
प्लाई बोर्ड, पेटी, संदूक, मैं किस
काम न आता?
ट्रक, बस बॉडी, रेल के
डिब्बे, नाव, जहाज
बनाता।।
खेल-खिलौने, कुर्सी-टेबल, खटिया-पलंग
सजाए।
औषधि, चारा, तेल, मसाले, फल-फूल
मुझसे पाए।
आंधी, तूफां, वायु
प्रदूषण, सब पर रोक लगाता।
कृषि उर्वरा शक्ति बढ़ाकर, मौसम
मस्त बनाता।।
सर्दी-गर्मी-वर्षा भारी हो, मैं तेरी
रक्षा करता।
तन पर अपने धूप ताप सह, छाया
तुझको देता।।
आत्मज्ञान सुख-शांति पाने, जब तू वन
में आता।
मोह-माया का बोध छुड़ाकर, तुझको
सत्य दिखाता।।
जन्म से लेकर अंत समय तक, तेरा साथ
निभाता।
वृद्ध सहारा बनकर लाठी, मृत्यु
चिता तक जाता।।
हे! मानव एक निवेदन तुझसे, जो तू
मुझको काटे।
हां! पहले तू दस वृक्ष लगा दे, उनको
स्वस्थ बना दे।।