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प्रयास आखिरी सांस तक करना चाहिए, या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव दोनों ही बातें अच्छी है.

February 28, 2012

व्यक्तित्व विकास----


बेहतर संस्थान में लें एडमिशन


एविएशन इंडस्ट्री इस समय पूरी दुनिया में आगे बढ रही है, लेकिन खास बात यह है कि भारत में इसकी ग्रोथ रेट काफी तेज है। उडानों की संख्या की दृष्टि से देखें, तो दुनिया के टॉप देशों की सूची में भारत है। आसमान में उडते हवाई जहाज हमें बचपन से आकर्षित करते रहे हैं। आज भी बच्चे विमान की गडगडाहट सुन उसे देखने घर से बाहर निकल आते हैं और जब तक विमान नजरों से ओझल न हो जाए, तब तक एकटक उसे निहारते रहते हैं। बचपन की यह उत्सुकता अधिकांश बच्चों में बडे होने के साथ विमानों की दुनिया से लगाव का रूप लेने लगती है। आकाश में पक्षी की तरह पंख फैलाए लम्बे सफर पर निकले विमानों की दुनिया से जुडने की तमन्ना बचपन से ही तमाम बालक-बालिकाओं की होती है। विमानों की दुनिया में सिर्फ पॉयलट ही नहीं होते, बल्कि तेजी से आगे बढ रही इस इंडस्ट्री में केबिन-क्रू स्टाफ के रूप में भी खूब संभावनाएं हैं। केबिन-क्रू मेंबर्स में प्रमुख रूप से एयर होस्टेस और फ्लाइट स्टीवर्ड शामिल होते हैं। अगर आप एयरहोस्टेस या फ्लाइट स्टीवर्ड बनना चाहते हैं, तो इस समय इससे संबंधित कोर्स के लिए कई संस्थान हैं।



एविएशन फील्ड में जॉब



भारत में एविएशन फील्ड में बूम के चलते इस इंडस्ट्री के प्रत्येक सेक्शन में जॉब की भरमार हो गई है। इनमें कॉमर्शियल पॉयलट, एयरहोस्टेस, फ्लाइट स्टीवर्ड, एयरपोर्ट रिलेशन एग्जीक्यूटिव, फ्रंट ऑफिस एग्जीक्यूटिव आदि प्रमुख हैं। डोमेस्टिक-इंटरनेशनल लेवॅल पर यात्री विमानों की लगातार बढती संख्या के चलते इन सभी पदों पर काम करने के लिए स्किल्ड लोगों की डिमांड पिछले कुछ वर्षो में खूब बढी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले तीन से पांच वर्षो में इन पदों के लिए दो लाख से अधिक लोगों की जरूरत होगी।



एयरहोस्टेस/फ्लाइट स्टीवर्ड



किसी भी एयरलाइन की डोमेस्टिक या इंटरनेशनल फ्लाइट के दौरान एयरहोस्टेस और फ्लाइट स्टीवर्ड की प्रमुख भूमिका होती है। इन दोनों पदों पर नियुक्त कर्मचारियों का काम लगभग एक जैसा होता है। महिला कर्मचारी को जहां एयरहोस्टेस के नाम से जाना जाता है, वहीं पुरुष कर्मचारी को फ्लाइट स्टीवर्ड नाम से। ये केबिन-कू्र के इंपॉर्टेट मेंबर होते हैं। आज भारत में एयर इंडिया और इंडियन (पहले इंडियन एयरलाइंस) जैसी अंटरटेकिंग एयरलाइंस के अलावा निजी क्षेत्र की करीब एक दर्जन एयरलाइन कंपनियां हैं, जिनमें से अधिकांश डोमेस्टिक लेवॅल पर और कुछ डोमेस्टिक के साथ-साथ इंटरनेशनल लेवॅल पर भी उडान संचालित कर रहे हैं। कई इंटरनेशनल कंपनियां भी भारत के प्रमुख शहरों से अपनी उडानें चला रही हैं।



रहें फर्जी संस्थानों से सावधान



इस क्षेत्र से संबंधित कोर्स में कई संस्थान हैं, लेकिन अच्छे और मान्यता प्राप्त संस्थानों में पढाई से ही आपको बेहतर नौकरी मिल सकती है। इन दिनों इस कोर्स से संबंधित संस्थानों की संख्या काफी है, जिससे स्टूडेंट्स अच्छे संस्थान का चयन नहीं कर पाता है। संस्थान चुनने से पहले यह देखें कि वह मान्यता प्राप्त है कि नहीं। इसके साथ ही यह देखें कि वहां पढाई किस तरह की है और प्लेसमेंट रिकॉर्ड कैसा है। अगर आप इन्हें ध्यान में रखकर संस्थान चयन करते हैं, तो बेहतर पोजीशन में रहेंगे। इसके साथ ही यह देखें कि संस्थान इंटर्नशिप के लिए आपको कहां-कहां भेजती है और वहां से पढाई करने के बाद स्टूडेंट्स किस तरह के जॉब करते हैं।

BY- संतोष PANDEY