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प्रयास आखिरी सांस तक करना चाहिए, या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव दोनों ही बातें अच्छी है.

December 24, 2012

वन डोर फॉर डॉक्टर्स


LIBRARY, K V - BHADERWAH



वन डोर फॉर डॉक्टर्स ----


देशभर के मेडिकल एवं डेंटल कालेजों में साल 2013 में एडमिशन उन्हीं मेधाओं को मिल पाएगा, जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा आयोजित कॉमन इंट्रेंस एग्जाम नीट की कसौटी पर खरी उतरेंगीं। इस एग्जाम के माध्यम से देशभर के 271 (138 + 133 गैर सरकारी) मेडिकल कालेजों में एडमिशन दिए जाने का प्रावधान है। अब नीट के माध्यम से 31 हजार एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। हालांकि एम्स दिल्ली, अजमेर, पुदुचेरी जैसे कुछ मेडिकल कॉलेजों को अलग से इंट्रेंस टेस्ट लेने की इजाजत दी गई है। एग्जाम 5 मई, 2013 को है। यदि आपने नीट क्लीयर कर लिया है तो मेरिट के आधार पर मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2012 है।

एकल परीक्षा कॉन्सेप्ट का बढा क्रेज
देश में 5 मई, 2013 को होने वाली कॉमन इंट्रेंस टेस्ट परीक्षा आयोजन व छात्रों की सुविधा के लिहाज से काफी प्रभावी मानी जा रही है। इसके चलते जहां विभिन्न पैटर्न की परीक्षाओं व उसकी भारी-भरकम फीस से गार्जियन को निजात मिलेगी, वहीं स्टूडेंट्स को फॉर्म लेने के लिए बार-बार बैंकों व संस्थानों के चक्कर भी नहीं काटने होंगे। अखिल भारतीय स्तर पर मेडिकल के लिए एक ही इंट्रेंस एग्जाम की वर्षो से डिमांड थी। इस टेस्ट में मिलने वाले अंकों के आधार पर प्रत्याशियों को दो रैंकिंग मिलेंगी। पहली रैंक ऑल इंडिया स्तर पर और दूसरी रैंक स्टेट लेवल पर होगी। आपके लिए जरूरी है कि आप इस परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करके खुद को डॉक्टर बनने का सपना साकार कर सकते हैं।

एग्जाम का पैटर्न
नीट में सारे प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे। निगेटिव मार्किग का भी प्रावधान रखा गया है। प्रश्नपत्र में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयोलॉजी पर आधारित 180 प्रश्न होंगे। यह टेस्ट तीन घंटे यानी 180 मिनट का होगा। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, जियोलॉजी और बॉटनी के 45-45 प्रश्न पूछे जाएंगे। तीन घंटे की इस परीक्षा में भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेजी माध्यम में भी परीक्षा देने का विकल्प है। सब्जेक्ट वाइज सारे प्रश्न खंडवार हो सकते हैं। यदि आप किसी भी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, तो सबसे पहले जरूरी है कि आप परीक्षा से संबंधित पैटर्न को ध्यान से देखें और उसी के अनुरूप तैयारी को अंतिम रूप दें। अगर आप अपनी तैयारी रणनीति के तहत करते हैं, तो कोई कारण नहीं कि आप इस परीक्षा में सफलता प्राप्त न कर सकें।

आधारभूत समझ जरूरी
परीक्षा देते समय कौन से सवाल हल करने हैं, इसका चयन बुद्धिमत्ता से करना होगा। दरअसल इस परीक्षा में आने वाले अमूमन 25 फीसदी प्रश्न अपेक्षाकृत आसान, 60 फीसदी औसत व 15 फीसदी प्रश्नों का स्तर काफी ऊंचा होता है। ऐसे में यदि आप आसान व औसत प्रश्नों को हल कर लेते हैं, तो भी आप कट ऑफ में आसानी से जगह बना सकते हैं। वहीं आखिर में बचे हुए कठिन प्रश्नों से कुछेक प्रश्नों के सही जवाब देकर आप मेरिट के बारे में भी सोच सकते हैं।एनसीईआरटी की किताबें बोर्ड एग्जाम की दृष्टि से तो कारगर होती ही हैं, कंपटीशन के नजरिए से भी उपयोगी हैं। विषय की आधारभूत समझ विकसित करने में इनका कोई जोड नहीं होता। पूर्व टॉपर्स?का अनुभव भी बताता है कि किताब की भाषा ही अपने आप में कई प्रश्नों का हल होती है। ऐसे में इसका गहराई से अध्ययन करें तो कई डाउट्स क्लियर हो सकते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि कॉन्सेप्चुअल थ्योरी से लेकर न्यूमेरिकल्स तक, एनसीईआरटी से बनाए गए नोट्स का ही छात्र गहनता से अध्ययन कर लें तो तिलिस्म टूटने में देर नहीं लगने वाली। तीनों विषयों के उचित अध्ययन का तरीका यह है कि हर विषय का प्रत्येक पाठ और प्रत्येक टॉपिक की उचित समय सारिणी बना लें। मिश्रित कांसेप्ट वाले प्रश्नों को हल करने के लिए विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होती है। प्रत्येक पाठ के अध्ययन के बाद रिवीजन, नोट एवं समरी बनाने से परीक्षा के कुछ पूर्व तेजी से रिवीजन करने में मदद मिलती है। बौद्धिक क्षमता को निरंतर बढाना चाहिए। सीखने की समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता के अनुप्रयोगों का विकास प्रत्येक छात्र के अंदर होना चाहिए।

फंडामेंटल कांसेप्ट है कुंजी
मेडिकल की परीक्षा में देश भर के स्टूडेंट्स सम्मिलित होंगे। इस कारण आपको देश भर के मेधावी स्टूडेंट्स से पार पाना होगा। इस तरह की परीक्षा में सफलता उन्हीं स्टूडेंट्स को मिल सकती है, जिसका बेसिक्स क्लियर होगा। बेसिक्स और फंडामेंटल कांसेप्ट से ही प्रश्नों को हल करना चाहिए। अगर आप इसमें महारत हासिल करना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे जरूरी है कि आप एक ही प्रश्न के कई समानांतर हल ढूंढने का प्रयास करें। इस तरह की रणनीति बनाकर तैयारी करने से विश्लेषणात्मक क्षमता का विकास होता है और प्रश्नों के स्टैंडर्ड के अनुसार स्टूडेंट्स तैयारी करने में भी सफल होता है।
  
हल करें मॉक टेस्ट
नीट सीबीएसई द्वारा संचालित की जा रही है। इसलिए एनसीईआरटी की पुस्तकों के विषयवस्तु को ध्यान से पढने के साथ दिये गये चित्रों पर सूक्ष्म रूप से ध्यान देना होगा। बेहतर तैयारी के लिए संक्षेपण विधि का प्रयोग करें। यदि आपको एक प्रश्न में दस बिन्दु याद करने हैं, तो इनका संक्षेपण करें। ऐसे प्रश्नों की सूची तैयार करें जो आपको कठिन लगते हैं। प्रतिदिन भिन्न -भिन्न नोट्स का संग्रहण करना छोड दें। केवल उन्हीं नोट्स का अध्ययन करें, जो आपके लिए सुविधाजनक और उपयोगी हों। स्टूडेंट यदि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में दिये गये अभ्यास प्रश्नों को हल करेगा तो नि:संदेह एग्जाम में बढिया करेगा।
     

रिवीजन से पास आती कामयाबी
नीट में कामयाबी के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पर मजबूत पकड बनानी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसमें सब्जेक्ट वाइज रिवीजन किया जाए तो सफलता की कहानी लिखी जा सकती है.

फिजिक्स
बेसिक्स पर पकड दिलाएगी सफलता
नीट की तैयारी के लिहाज से फिजिक्स बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें अच्छी स्कोरिंग का मतलब है नीट में बेहतर स्कोर। लिहाजा इसमें ढील देने का कोई मतलब नहीं। चूंकि यह परीक्षा के इस प्रारूप का पहला ही साल है इसलिए इसके बारे में ज्यादा कयासबाजी करना भी ठीक नहीं होगा। बेहतर तो यह होगा कि इस दौरान आप अपने बेसिक्स पर सबसे ज्यादा ध्यान दें और कोशिश करें कि स्कूल में फिजिक्स पर पढाई पर पूरा ध्यान दें। बहुत मुमकिन है कि नीट में आने वाले प्रश्न आपके 11-12वीं सिलेबस से ही हों। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि फिजिक्स में बेसिक्स पर बेहतर पकड से अच्छा स्कोर लाया जा सकता है। हर एक प्रश्न के फार्मूलों का अभ्यास आपको सफल लोगों की श्रेणी में खडा कर सकता है। फिजिक्स में थर्मोडायनामिक्स, ऑसीलेशन एंड वेव्स, काइनेमेटिक्स, लॉ ऑफ मोशन, वर्क एंड एनर्जी पर विशेष ध्यान दें। इसके साथ ही इलेक्ट्रोस्टैटि-क्स, ऑप्टिक्स, एटम्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स, मैग्नेटिक इफेक्ट्स ऑफ करेंट, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन और करेंट इलेक्ट्रिसिटी को यदि प्वाइंट टू प्वाइंट ध्यान से पढेंगे तो नीट में जरूर अच्छा करेंगे। एनसीईआरटी की पुस्तकों से छात्रों को थ्योरी पढने के बाद किसी अच्छे प्रश्न बैंक से प्रैक्टिस करना बहुत जरूरी है।

केमिस्ट्री
11वीं से ही कर दें शुरुआत
कहते हैं प्रैक्टिस मेक ए मैन परफेक्ट । ठीक यही चीज इस परीक्षा में लागू होती है। कहने का अर्थ यह कि यदि आप नीट की तैयारी को अगले दर्जे पर ले जाना चाहते हैँ तो स्कूल की पढाई पर सबसे ज्यादा फोकस करें। इस दौरान आपने नीट में आने वाले विषय, उनके कॉसेप्ट की अच्छी जानकारी अर्जित की है तो आप खुद देखेंगे कि इस परीक्षा की आधी तैयारी तो स्कूल में रहते ही पूरी हो जाएगी। इस लिहाज से कैमेस्ट्री की चर्चा करें तो ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में आपके सारे फंडामेंटल क्लियर होने चाहिए, क्योंकि सारे प्रश्न इसी पर आधारित होते हैं। पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री रिएक्शन मैकेनिज्म पर आधारित होती है। बिना रिएक्शन समझे अच्छा स्कोर संभव नहीं है। फिजिकल केमिस्ट्री पर अच्छी पकड बनाने के लिए अधिक से अधिक न्यूमेरिकल और बेसिक प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। स्टूडेंट यदि ग्यारहवीं से ही एस ब्लॉक और पी ब्लॉक इलीमेंट, क्लासीफिकेशन ऑफ इलीमेंट, हाइड्रोजन, हाइड्रोकार्बन, बेसिक कॉन्सेप्ट ऑफ केमिस्ट्री, क्लासीफिकेशन ऑफ एलिमेंट्स तथा स्ट्रक्चर ऑफ एटम पर ध्यान देना शुरू कर दें तो नीट में बेहतर करने की स्थिति में होंगे। वैसे आप अपनी सुविधा के अनुसार स्ट्रेटेजी बना सकते हैं। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप क्या स्ट्रेटेजी बनाते हैं।

बॉयोलॉजी
रिवीजन है महत्वपूर्ण
मेडिकल की तैयारी में रिवीजन का महत्वपूर्ण रोल है। जितना ज्यादा रिवीजन करेंगे और पुराने पेपर के प्रश्नों को हल करेंगे, सफलता के उतने ही करीब पहुंचेंगे। बायोलॉजी में क्लासीफिकेशन,एनीमल फिजियोलॉजी, एंजियोस्पर्म एप्लीकेशन बायोलॉजी से अधिक प्रश्न आने की संभावनाएं हैं। जेनेटिक्स एवं साइटोलॉजी भी महत्वपूर्ण हैं। स्टूडेंट को चाहिए कि ग्यारहवीं में प्लांट फिजियोलॉजी,स्ट्रक्चर ऑफ एनिमल एंड प्लांट्स, चूमन फिजियोलॉजी तथा सेल स्ट्रक्चर एंड फंक्शन के प्वाइंट्स को एकाग्रचित होकर पढंे तो नीट में बेहतर कर सकते हैं। बारहवीं में जेनेटिक्स, इकोलॉजी एंड इंवॉयरमेंट , रिप्रोडक्शन तथा बायोटेक्नोलॉजी पर पकड आपको सफलता की श्रेणी में खडा कर देगी।

उत्तर देने में न करें जल्दबाजी
अक्सर देखा जाता है कि छात्र परीक्षा हाल में हडबडी में या कई बार अतिआत्मविश्वास में गलतियां कर जाते हैं। नतीजतन योग्य होते हुए भी वे मनचाहें परिणाम की दहलीज पार नहीं कर पाते। इस कारण अहम होगा कि छात्र परीक्षा हॉल में प्रश्न को सोच समझ कर हल करें। जल्दबाजी में दिये गये उत्तर के गलत होने की आशंका बढ जाती है। इसलिए यदि कांफिडेंट हैं तभी उत्तर दें वर्ना एक चौथाई नंबर कटने से कोई नहीं रोक पाएगा। थोडा सा दिमाग लगाकर प्रश्नों को सॉल्व करेंगे तो बेहतर होगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि परीक्षा में आने वाले अमूमन 25 फीसदी प्रश्न आसान, 60 फीसदी औसत व 15 फीसदी प्रश्नों का स्टैंडर्ड हाई होता है। ऐसे में यदि आप आसान व औसत प्रश्नों को हल कर लेते हैं, तो भी आप कट ऑफ में आसानी से जगह बना सकते हैं। वहीं आखिरी में बचे हुए कठिन प्रश्नों में कुछेक प्रश्नों के सही जवाब देकर आप मेरिट के बारे में सोच सकते हैं।एनसीईआरटी की किताबें नीट के लिए उपयोगी हैं। विषय की आधारभूत समझ विकसित करने में इनका कोई जोड नहीं होता। पूर्व टॉपर्स का अनुभव भी बताता है कि किताब की भाषा ही अपने आप में कई प्रश्नों का हल होती है। ऐसे में इसका गहराई से अध्ययन करें तो कई डाउट्स क्लियर हो सकते हैं। कॉन्सेप्चु- अल थ्योरी से लेकर न्यूमेरिकल्स तक, एनसीईआरटी से बनाए गए नोट्स का ही छात्र गहनता से अध्ययन कर लें तो तिलिस्म टूूटने में देर नहीं लगने वाली।

समय का रखें ख्याल
यूं तो किसी भी परीक्षा में बेहतर करने के लिए आपको समय का खास ख्याल रखना होता है। लेकिन नीट में अव्वल आने के लिए समय की अहमियत और बढ जाती है। यहां अपना सर्वश्रेष्ठ देने के साथ आपको यह कोशिश भी करनी होगी कि अपना बेस्ट तय समय के भीतर ही दें। परीक्षा में आने वाले कई कैलकुलेशन बेस्ड जटिल सवालों को देखते हुए तय वक्त में पेपर हल करने की रणनीति बहुत काम आने वाली है। अगर जेईई मेन में सफल होना है, तो दिसंबर तक अपनी पढाई पूरी कर लेनी होगी। उसके बाद फॉर्मूला और रिजल्ट का एक नोट्स रीविजन की दृष्टि से तैयार करना श्रेष्ठकर हो सकता है। प्रश्नपत्र सीबीएसई के एक्सपर्ट तैयार करेंगे, इस कारण प्रश्न ज्यादा कठिन न होकर इंटेलीजेंट हो सकता है। ओवरऑल देखा जाए तो यह टेस्ट नॉलेज के साथ साथ स्पीड और एक्यूरेसी का होगा। इस कारण कम समय में अधिक से अधिक प्रश्नों को हल करना सफलता के काफी करीब पहुंचा सकता है। एनसीईआरटी पुस्तक को दिसंबर तक खत्म करने के बाद प्रैक्टिस के लिए आईआईटी में पूछे गए सिंगल च्वाइस वाले सवालों को समझकर हल करने से आपकी तैयारी बेहतर हो सकती है। हो सकता है कि आप जिस टॉपिक में आसान प्रश्न पूछे जाने की संभावना लेकर परीक्षा हाल में जा रहे हैं, उससे कठिन और जिसे आप कठिन समझकर न पढे, उससे आसान सवाल पूछे जा सकते हैं। इस कारण सभी टॉपिक की तैयारी अच्छी तरह से करें।

खुद पर भरोसा है जरूरी
इस परीक्षा में सफलता तभी मिल सकती है, जब खुद पर विश्वास हो कि आप कामयाबी पा सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षा में असफलता आम बात होती है। तैयारी के दौरान कभी भी यह न सोचें कि आप इस परीक्षा में औरों के मुकाबले कमजोर हैं। एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को एक समय उनकी ही बनाई कंपनी से निकाल दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी नई कंपनियां शुरू कीं, जो सिलिकॉन वैली की सबसे चमचमाता नाम बन गई।
 
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