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प्रयास आखिरी सांस तक करना चाहिए, या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव दोनों ही बातें अच्छी है.

November 20, 2012

कॅरियर का सही जजमेंट


पुस्तकालय , केन्द्रीय विद्यालय - भद्रवाह
 
कॅरियर का सही जजमेंट---


फिल्मों में तो आपने कई बार अदालत के सीन देखे होंगे और बचपन के खिलंदडे में ऑर्डर-ऑर्डर के खेल भी खूब खेले होंगे। लेकिन आज बचपन के इसी खिलवाड में भविष्य के कई सपने छिपे दिखते हैं। वो सपने जो केवल कॅरियर को मंजिल ही नहीं देते बल्कि सकडों-हजारों लोगों को न्याय, सच्चाई?की मुकम्मल राह भी दिखाते हैं। हम बात कर रहे हैं न्यायपालिका में मौजूद कॅरियर के रास्तों की। जहां आप वह सब पा सकेंगे, जिसके ख्वाब आपने जागती आंखों से देखे होंगे। वैसे भी आज के दौर में जब समाज तेजी से आत्मकेंद्रित हो रहा है। अपनों का दायरा लगातार कम हो रहा है। ऐसे कॅरियर विकल्प कम ही बचे हैं जो व्यवस्था में आम जनमानस के भरोसे को कायम रखें। यदि आप इस भरोसे को जिंदा रखने की कवायद में हिस्सेदार बनना चाहते हैं व कायम रखना चाहते हैं देश की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराएं तो न्यायपालिका, कॅरियर की सही राह है। यहां आप क्लैट यानि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के जरिए अपने मनचाहे मुकाम तक पहुंच सकते हैं। सभी को यह सुविधा सुलभ हो और कानून की पहुंच आमलोगों तक हो, इसके लिए हर वर्ष 9 नवंबर को नेशनल लीगल सर्विस डे मनाया जाता है।
      
जानें क्लैट को
न्यायपालिका के क्षेत्र में प्रवेश करने का यह एक प्रमुख रास्ता है। इसकी शुरुआत साल 2010 में मानव संसाधन मंत्रालय व यूजीसी (यूनियन ग्रांट कमीशन) की पहल पर हुई। इस पहल के पीछे अहम थी सर्वोच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका। जिसमें कहा गया था कि क्यों न ऐसी एकीकृ त प्रवेश परीक्षा शुरू की जाए जो भविष्य के वकीलों को बेहतर कानूनी दृष्टिकोण प्रदान करे। इससे पहले तक लॉ कॅरियर की राह थोडी अलग थी, जिसमें इंट्री (एलएलबी कोर्स) के लिए उम्मीदवारों को ग्रेजुएट होना आवश्यक था लेकिन अब क्लैट के आ जाने से 10+2 के बाद ही छात्र इसके डिग्री प्रोग्राम में भाग ले सकते हैं। क्लैट का इस्तेमाल देश के 14 नेशनल लॉ स्कूल/ यूनिवर्सिटीज अपने अंडर ग्रेजुएट (एलएलबी) व पोस्ट ग्रेजुएट एलएलएम) प्रोग्रामों में प्रवेश हेतु करते हैं। आप इससे संबंधित कोर्स करके कॅरियर बना सकते हैं।
      
एग्जाम का लेखा जोखा
कहा जाता है न्यायिक तंत्र तभी बेहतर ढंग से कार्य करता है, जब उसका प्रत्येक अंग अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर व तजुबर्ेकार हो। क्लैट एग्जाम का लक्ष्य ऐसी ही सोच वाले युवाओं का चयन करना है। यह परीक्षा हर साल मई माह में आयोजित होती है, जिसमें मैथ्स, इंग्लिश, जनरल नॉलेज, लीगल एप्टीट्यूड, लॉजिकल रीजिंनग से जुडे प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नपत्र की अवधि 2 घंटे की है व इसमें कुल 200 अंकों के बहुविकल्पीय प्रश्न आते हैं। प्रश्नों का स्तर 12वीं के आस-पास होता है।
 
क्या है योग्यता का दायरा
क्लैट का खाका कुछ ऐसे खींचा गया है कि न्यायालयों को ताजा सोच से लैस युवा मिल सकें। यही वजह है कि इसके अंडरग्रेजुएट (एलएलबी) प्रोग्राम की पात्रता शर्त 10+2 या समकक्ष रखी गई है। तो वहीं एलएलएम प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए उम्मीदवार का एलएलबी होना अनिवार्य है। अंडरग्रेजुएट एग्जाम केलिए 20 साल से कम उम्र के उम्मीदवार पात्र हैं।
- समझिए अंकों का क्राइटेरिया- क्लट के एक खास स्तर को बनाए रखने के लिए यहां न्यूनतम अंकों की शर्त रखी गई है। इसके मुताबिकएलएलबी परीक्षा में बैठने के लिए आपको 10+2 में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना होगा। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में भागीदारी के लिए आपको एलएलबी में 50 फीसदी अंक लाने होंगे।
 
सिलेबस पर पकड
क्लैट परीक्षा में सफलता के लिए आपको हर चरण पर योजनाबद्ध अध्ययन की जरूरत पडेगी। यदि आप ऐसा करने में सफल रहे तो कानून का यह कॅरियर निर्णय आपके ही हक में होगा। - इंग्लिश- क्लैट अंडरग्रेजुएट परीक्षा में 40 अंक की अंग्रेजी आती है। इस पार्ट मे कैंडीडेट्स की इंग्लिश भाषा की समझ का आकलन किया जाता है। यहां कॉम्प्रिहेंसन, वर्ड मीनिंग, करेक्ट, इनकरेक्ट, फिल इन द ब्लैक्स, चूसिंग द राइट वर्ड जैसी चीजों पर खासा जोर रहता है। अगर आप सिलेबस को ध्यान से पढते हैं, तो आपको इस विषय में विशेष परेशानी नहीं होगी।
- मैथ्स- प्रश्नपत्र में 20 अंकों की मथ्स आती है वो भी कैंडीडेट्स की प्राथमिक गणितीय योग्यता जांचने के लिए। इसका स्तर अमूमन हाईस्कूल का ही होता है। अगर आपका मैथ्स में फंडामेंटल क्लियर है, तो आपको विशेष परेशानी नहीं होती है।
- जनरल नॉलेज- जीके सेक्शन में बेहतर करने के लिए वर्षपर्यंत तैयारी की दरकार होती है। जानकार मानते हैं कि अच्छी तैयारी के लिए साल भर (मार्च 2011-मार्च 2012 तक) के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, पुरस्कार, विज्ञान, मनोनयन, उपलब्धियों आदि से संबंधित प्रश्नों का अध्ययन बेहतर रहेगा। पूरे प्रश्नपत्र में 50 अंकों का जीके आता है। अगर आप न्यूज पेपर पढते हैं, तो फायदे में रह सकते हैं।
- लॉजिकल रीजिनिंग- इसे उम्मीदवारों की तार्किक योग्यता परखने के लिहाज से सटीक माना जाता है। इससे 50 अंकों के प्रश्न आते हैं। ज्यादा फोकस एनालॉजीस, लॉजिकल सीक्वेंस, सिलोगिज्म जैसी चीजों पर होता है।
- लीगल एप्टीट्यूड- 40 अंकों वाला लीगल एप्टीट्यूड इस प्रश्न पत्र का अहम भाग है। यही वह हिस्सा है जिसके जरिए सही मायने में एक वकील के मौलिक गुणों की पडताल की जाती है। लिहाजा इस हिस्से की मजबूत तैयारी का मतलब है बेहतर रैंक।
 
प्रमुख संस्थान-नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी,बंगलौर
-एनएएलएसएआर,यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद
-नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल
-द वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरीडिशियल सांइस, कोलकाता
-नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर
-हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर
-गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
 
के 1+के2+के3= सक्सेस
क्लैट में कामयाबी का यह सबसे महत्वपूर्ण समीकरण है। इसके जरिए आप परीक्षा में आने वाली हर मुसीबत से पार पा सकते हैं। यहां तक कि एडवोकेसी में आने वाली तरह-तरह की चुनौतियांको भी यहां जाना जा सकता है। इसकी कोशिश यही होती है कि कैंडीडेट परीक्षा के लिए सैद्धांतिक व मानसिक रूप से तैयार हो सके
 
क्या है के1- नो योर एग्जाम
जी हां क्लैट की परीक्षा देने से पहले कैंडीडेट्स को परीक्षा प्रारुप पूरी तरह समझना होगा और कोशिश करनी होगी कि प्रश्नपत्र के बरक्स असल क्षमताओं का आकलन हो सके। इसके लिए अहम होगा कि आप पुराने प्रश्नपत्रों का अध्ययन करें। जिसमें एनलएलएसआईयू, क्लैट, एनएएलएसए- आर, एनएलयू-जे, एनएलयू-डी जैसी परीक्षाओं के पुराने प्रश्नपत्र खासे मददगार साबित होंगे।
 
महत्वपूर्ण है के 2- नो योर सेल्फ
परीक्षा कोई भी हो अपनी क्षमताओं की परख सबसे जरूरी है। अन्यथा कई बार छात्र अपने बस के बाहर की चीजों में हाथ डाल पछताते हैं। उसी तरह क्लैट एग्जाम में भाग लेने के पूर्व कैंडीडेट्स के लिए खुद की अभिरुचियों, स्ट्रांग प्वांइट को जानना आवश्यक है। उन्हें समझना होगा कि वकालत ऐसा पेशा है जिसमें तर्कशील मस्तिष्क, पारखी दृष्टि, अध्ययनशील मनोवृत्ति व लाजवाब कम्यूनिकेशन की सख्त दरकार होती है। तो यहां इंट्री लेने से पहले अपने भीतर इन चीजों की मौजू-दगी सुनिश्चित करें तो अच्छा है।
 
तैयारी को फाइनल टच देता के3- किक द बॉल
परीक्षा की तैयारी कैसे करे,ं क्या करें, क्या न करें पर चर्चा बहुत हुई अब समय है फाइनल किक करने का। यदि आपने ऊपर बताए गए के1 व के2 पर पूरा ध्यान दिया है तो के3 यानि क्लैट की तैयारी को दिए जाने वाले फाइनल टच में परेशानी नही होगी। यहां कडी मेहनत, सभी विषयों को बराबर समय, बेसिक्स पर फोकस आदि आपकी कामयाबी की कुंजी हैं। आप इस पर अमल जरूर करें।
 
ऑल इंडिया बार काउंसिल एग्जाम
वकालत का क्षेत्र आज आम नहीं रहा। वो दिन गए जब लोग किसी और विकल्प के अभाव में वकालत का दामन थाम लिया करते थे। अब तो क्लैट जैसे कदमों ने इस क्षेत्र का स्तर बहुत ऊपर उठा दिया है। यही कारण है कि आज वकालत में एक पूर्ण कॅरियर की चाह रखने वाले लोग ही यहां प्रवेश ले रहे हैं व इस क्षेत्र को कामचलाऊ कॅरियर विकल्प मानने की पुरानी अवधारणा भी खत्म हो रही है। इसी कडी में एक नया नाम है-ऑल इंडिया बार काउंसिल एग्जाम। जो एडवोकेट के रूप में न्यायालय में खुद को रजिस्टर्ड कराने से पहले योग्य उम्मीदवार का टेस्ट लेता है। उसमें सफल होने पर ही अभ्यर्थी एक वकील के रूप में अपना कॅरियर शुरू कर पाता है।

क्यों पडी जरूरत
दरअसल इस परीक्षा को आयोजित कराने के पीछे बार काउंसिल की मंशा वकालत के पेशे में उतर रहे युवाओं की कार्यगत कुशलता नहीं बल्कि स्किल्स, विषय की आधारभूत समझ व पेशेगत योग्यता परखना है। इसी कारण गत वर्ष से ही इस परीक्षा की शुरुआत की गई।
-परीक्षा तिथि 25 नंवबर 2012 है।
-एप्लीकेशन फीस-
नए अभ्यर्थियों केलिए- 1900 रुपए
दोबारा फॉर्म भर रहे अभ्यर्थियों के लिए-1400 रुपए
-परीक्षा माध्यम- इस परीक्षा का आयोजन देश भर के 27 परीक्षा केंद्रों पर 9 भाषाओं (हिंदी, तमिल, इंग्लिश, गुजराती, तमिल, बंगाली, मराठी, तेलुगू, कन्नड, उडिया) में होता है।
-समयावधि- 3 घंटे 30 मिनट
-परीक्षा पैटर्न- परीक्षा में सौ सवाल पूछे जाएंगे। सभी सवाल बहुविकल्पीय (ओएमआर फॉर्मेट में) होंगे।
-कैसा होगा पाठ्यक्रम- परीक्षा में आने वाले सवाल बार कांउसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित त्रिवर्षीय एलएलबी व पंचवर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम से पूछे जाएंगे। प्रश्नपत्र दो कैटेगिरी में बंटा होगा। पहला कानून के वृहत क्षेत्र केआधारभूत ज्ञान से जुडा होगा। वहीं दूसरे में कई अन्य विषयों से जुडे हुए ऐसे सवाल होंगे, जिन्हें जानना इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले किसी नवागंतुक के लिए आवश्यक है।

अदालत से निकलेगा कॅरियर का निर्णय
आज अदालत के मायने बदले हैं। इसमें आज ऐसी कई चीजें शुमार हो चुकी हैं जिसके बारे में पहले सोचना भी मुश्किल था
काला कोट, अदालती परिवेश, सामने खडे मुजरिम, बहसों से गुजरते वकील। आज ज्यूडिशियरी कॅरियर का मतलब केवल यही सब नहीं है। आज तो इसका परिवेश विस्तृत हो चुका है, जिसमें आप ज्यूडिशियल काउंसलिंग से लेकर लीगल राइटिंग, आउटसोर्सिग जैसे क्षेत्रों में काम की गुंजाइश ढूंढ सकते हैं। पीजीडीएम इन पेटेंट लॉ, डिप्लोमा इन साइबर क्राइम, डिप्लोमा इन मीडिया लॉ, डिप्लोमा इन इंटरनेशनल चूमेनटेरियन लॉ जैसे एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स आपको अन्य बहुत से क्षेत्रों में पैर जमाने का अवसर देते हैं।
     
कॉरपोरेट काउंसिल- आज गलाकाट कॉरपोरेट प्रतिस्पर्धा के दौर में व्यावसायिक सलाहकार बडी जरूरत बनकर उभरे हैं। कॉरपोरेट लॉ में माहिर ये लोग लीगल ड्राफ्िटग से लेकर अधिग्रहण तक कई विषयों में अपनी कंपनी को मशविरा देते हैं। बढिया सैलरी, बेहतर वर्किग कंडीशन के बीच यह क्षेत्र लॉ ग्रेजुएट्स के लिए खासा उपयुक्त माना जाता है।
 
ज्यूडिशियल सर्विस- बदलाव तो कई आए लेकिन न्यायिक सेवाओं का जलवा अभी भी कायम है। सरकारी नौकरी का आश्वासन, न्यायपालिका की शक्तियां, सामाजिक दायित्व आदि कुछ ऐसी चीजें हैं जिसके चलते आज बडी संख्या में युवा वकील व लॉ ग्रेजुएट इस ओर रुख कर रहे हैं।
   
लीगल राइटिंग- यदि अच्छे आला दर्ज का वकील बनना हैं तो आप सतत अध्ययन से भाग नहीं सकते। यही तथ्य आज अच्छे लीगल राइटर्स के लिए उपजाऊ अवसर पैदा कर रहा है। यदि आपके पास भी कानून की गहन जानकारी है? व लेखन, पसंदीदा विषय है तो आप भी लीगल राइटिंग के क्षेत्र में हाथ आजमा सकते हैं। इन दिनों पब्लिकेशन हाउसेज केसाथ वेबसाइट्स में भी अच्छे लीगल राइटर्स की मांग है।
 
लॉ फ‌र्म्स- लॉ फ‌र्म्स अपने क्लाइंट का अदालत में प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं। ये फ‌र्म्स अपने नाम और पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक वकीलों, क्लर्को, ड्राफ्टर्स को जगह देते हैं। लॉ फ ‌र्म्स में अनुभवी व फ्रेशर दोनों के लिए अवसर होते हैं।

एकेडेमिक्स- वकालत की ओर युवाओं के बढते रुझान के चलते आज देश में कई लॉ स्कूल खुले हैं। कानून में स्नातक, परास्नातकों के पास इन कॉलेजों को बतौर लॉ फैकेल्टी ज्वाइन कर अपना और अपने छात्रों का भविष्य चमकाने का पूरा मौका है। इस फील्ड में उन्हें रिसर्च का भी मौका मिलता है।
  
एलपीओ (लॉ प्रोसेसिंग आउटसोर्सिग)- एलपीओ बेशक एक नया क्षेत्र है लेकिन आउटसोर्सिग के बढते चलन के बीच यहां अवसरों की रंगत अलग ही शमां बांध रही है। इसमें बडी बडी लॉ फ‌र्म्स, इन हाउस लॉ डिपार्टमेंट काम का बोझ कम करने तो कई?बार वित्तीय बचत के लिए विदेशी लॉ फ‌र्म्स या लीगल सपोर्ट सर्विस की सेवाएं लेते हैं। टेक्नोसेवी, बेहतर इंग्लिश, कानून की सटीक समझ रखने वाले लोग यहां काम का ग्लोबल दायरा तलाश सकते हैं। आप खुद कॅरियर का फैसला कर सकते हैं।

द्वारा -- सन्तोष कुमार पाण्डेय